मेरे तनहाइयों को आवाज़ बनने दो
मेरे आंसुओ को मेरा जज्बात बनने दो
अगर गिर पड़ा होश खोकर
मेरे हौसले को मेरा सहारा बनने दो
नहीं चाहिए साथ आपका
अब हाथो में वो ताकत नहीं
उठा ले जो बोझ आपके दिए सितम का
वो सितम को मेरा मुस्कान बनने दो
मुझे मेरे हाल पे रहने दो
जिन्दा हूँ " वो आपकी बद्दुआ है"
दुआ है की आप खुश रहो
मुझे घर का खाट बनने दो
मेरी लाश आपकी बोझ नहीं होगी
ज़रा वक़्त, मेरे कदमो को सम्भलने दो
में कल हीं नहीं, आज भी हूँ
थोड़ा मौसम को तो बदलने दो
जिया कल भी था, और जिन्दा भी हूँ
कल में ताकत था आपका, अब सिसक रहा हूँ
मेरी सिसक को अब रौद्र बनने दो
अब मेरी जिंदगी को मेरी ताकत बनाने दो
बहुत सहा जिल्लत इन दिनों
अभिमान को खिलने दो
फिर लौटूंगा पुराने रुख में
सुजान भगत को मुझसे से मिलने तो दो
(शंकर शाह)
बहुत सुंदर भाव युक्त कविता
ReplyDeleteACHCHI LAGEE YE KAWITA.
ReplyDeleteBahut Bahut Sukriya Sanjay Ji, Asha Ji.......:)
ReplyDeleteAplogo ka din Mangalmaya Ho.....:)