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MERI KAHANI

Friday, July 9, 2010

Bada Sukun Milta Hai / बड़ा सुकून मिलता है

सदियों के सफ़र तय करने बावजूद मुस्कुराता पीपल...ढल चुकी जीवन के साम बावजूद बच्चो के ख़ुशी पे खुश माँ बाप..कई चेहरे है जो सीढ़ी बनके भी खुश हो लेते है..दुनिआदारी नाम की तपिश भी उन्हें पिघला नहीं पाती..खो के देखो गहराई में बड़ा सुकून मिलता है किसी झुके हुए कमर का लाठी बनकर किसी लड़खड़ाते कदम को अंगुली थमाकर.......


(शंकर शाह)

2 comments:

  1. काश सब समझ पाते इस बात को !!

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  2. Sukriya Sangita Ji...Ummid pe dunia kayam hai.........:)

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