मै आकार ले रही हूँ माँ
तेरे सपने रूप साकार ले रही हूँ माँ
टूटे तारों से मांगी दुवा की
एक आकार हूँ
तेरे सपनो के सच्चाई
की रूप साकार हूँ
ख्याली खेत पर लगाई फसल
उभार ले रही हूँ माँ
मै आकार ले रही हूँ माँ
तेरे अन्खेले किती किती
की गोटी हूँ
तेरे खामोश अल्हर्पण
की मोती हूँ
तेरे अकेले पण की पुकार
अवतार ले रही हूँ माँ
मै आकार ले रही हूँ माँ
काली अमावस सी डर में
देवदूत की आहट हूँ
तेरे बैचेन रात दिन की
मै राहत हूँ
तेरे प्राथना पुकार की अनुगूँज
तुझमे सुप्त पड़ी माँ दुर्गा ,
काली रूप धार ले
मूर्च कटार धार ले रही हूँ माँ
मै आकार ले रही हूँ माँ
तेरे सपने रूप साकार ले रही हूँ माँ
टूटे तारों से मांगी दुवा की
एक आकार हूँ
तेरे सपनो के सच्चाई
की रूप साकार हूँ
ख्याली खेत पर लगाई फसल
उभार ले रही हूँ माँ
मै आकार ले रही हूँ माँ
तेरे अन्खेले किती किती
की गोटी हूँ
तेरे खामोश अल्हर्पण
की मोती हूँ
तेरे अकेले पण की पुकार
अवतार ले रही हूँ माँ
मै आकार ले रही हूँ माँ
काली अमावस सी डर में
देवदूत की आहट हूँ
तेरे बैचेन रात दिन की
मै राहत हूँ
तेरे प्राथना पुकार की अनुगूँज
तुझमे सुप्त पड़ी माँ दुर्गा ,
काली रूप धार ले
मूर्च कटार धार ले रही हूँ माँ
मै आकार ले रही हूँ माँ
(शंकर शाह)
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