जो है उस से खुश नहीं..उस से बेहतर पाने की ख्वाहिश...जो है जो पाना चाहते थे..जो पाना चाहते थे मिला पर बेहतर नहीं.. जो है उसी में से है पर धोखा इस बार शायद कुछ अलग हो...पाने की ख्वाहिश बहुत कुछ करने को प्रेरित करता है...और प्रेरित आत्मा समझौते के लिए..और समझौते के नीव से बनी रिश्ते को जब नाम मिल जाये तो उसका कोई मौल नहीं..फिर से एक नए नीव की तैयारी..अनजान सुनसान रास्ता आगे बढ़ने को प्रेरित करता है ..बेहतर बनाना और बेहतर पाने में बहुत अंतर है...जहा पाना बढ़ने को प्रेरित करता है वही बनाना जो है उसी को बेहतर....फैसला आपका......
(शंकर शाह)
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