धरती है आसमान है..आसमान है धरती है..मै हूँ शरीर है..शरीर है मै हूँ..नदी से मछली का रिश्ता, तारों से आसमान का..इन रिस्तो को सिर्फ हमारी विचारे हीं नाम दे सकती है..पर तनहा दिन रात से बूढी माँ का रिश्ता ...जैसे पहला सपना सच होने का..सवाल नाम देने का नहीं है...सवाल महसूस करने का है..की मैंने क्या महसूस किया..कभी महसूस करने से खुशी होती है तो कभी गम...जो भी हो मजा आयेगा..एक बार खुद से बाते करके तो देखिये
(शंकर शाह)
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