मै तो मजदूर हूँ,
मुझे औरो से क्या
मै बनाता आपका महल
मेरा रहने को घर नहीं
आपके महलो में
जोरता खून पसीना
अपने झोपड़े में जोरने
को ईंट भी नहीं
मेरे खून पसीने की
आपके नजरो में मोल क्या
मै तो मजदूर हूँ ,
मुझे औरो से क्या
मेरी किस्मत तो देखिये
सपने अपने बुने
आकार मै देता रहा
खुद में बँट कर उसे जोरता रहा
फिर भी आपके उन सपनो
मेरा अस्तित्व क्या
मै तो मजदूर हूँ,
मुझे औरो से क्या
तस्सली हर रोज देता हूँ
खुद से, कल मेरे हालात
सँवर जायेंगे ,
पर आज की जद्दोजहद में
मेरा कल क्या
मै तो मजदूर हूँ,
मुझे औरो से क्या
अनाज के दर्रे से
सेंकता भूख को ,
और भूख आपका सौक
मेरे मेहनत का फल
मेरी किस्मत
वाह मेरे किस्मत के निर्माता
मेरा भी किस्मत क्या
मै तो मजदूर हूँ,
मुझे औरो से क्या
कहने को तो मेहनत से
लगन से दुनिया अपनी
अपनों के भूख की रोटी
मजबूर मेरी मेहनत लगन
का आधार क्या,
मै तो मजदूर हूँ,
मुझे औरो से क्या
(शंकर शाह)
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