मैं आइने में जब भी अपना चेहरा देखता हूँ...मैं खुदमे दो चेहरे पाता हूँ..एक जो ज़माने की हिसाब से दिखना चाहता है और दूसरा खुद मैं खुद को तलाशता है..कभी कभी ऐसा लगता है जो हूँ दिख जाऊं पर आइना मेरा सृन्गारित चेहरा हिन् दिखाता है.. मतलब ये है 'धोखा देना चाहे तो आइने को तो दे सकते है पर दिल का क्या करे अपने विचारो का क्या करे...
Monday, May 3, 2010
Friday, April 30, 2010
Mera Manzil Kya Hai / मेरा मन्जील क्या है
अचानक मेरे मन एक ख्याल आया की मैं किसके पीछे भाग रहा हूँ.. मेरा मन्जील क्या है...मुझे जिंदगी मे कामयाबी मिल जाये और सुख सुबिधाये क्या येही मेरी मन्जील है...सवाल पेचीदा है और जबाब भी नहीं मिला...हमारा जिंदगी एक पतंग की तरह..हम बच्चे..उसकी उड़ान हमारे महत्वकान्छाओ की तरह और उसका ठहेरना हमारी किस्मत..एक अंधी दौड़ है जो हम दौड़ रहे है..कई निशाने बनाके...
(शंकर शाह)
(शंकर शाह)
Thursday, April 29, 2010
Sach aur Jhoot ka faisla koun karta hai / सच और झूठ का फैसला कौन करता है?
सच और झूठ का फैसला कौन करता है? चोर जब चोरी करता है सोचता है सामने वाले पास पैसा है और मेरे पास गरीबी भगवान का मर्जी है लुट लो...आतंकवादी-ऊपर वाला के लिए तो कर रहे है...साहूकार- हमारा धर्म है और समाज सेवा तो करते तो है हीं न.सब का अपना अपना विचार है अपने को सही साबित करने के लिए....हम अपने विचार को वहीं पूर्णविराम दे देते है जहा वो हमे सही साबित करता हो...
(शंकर शाह)
(शंकर शाह)
Wednesday, April 28, 2010
Dharm Aur Ashtha ka Rasta / धर्म और आस्था का रास्ता
कभी सोचा है मैदान के बीचो बीच से एक रास्ता क्यों नजर आता है...या कभी सोचा की मैं उसपे हिन् क्यों चला...किसी ने मुझसे पूछा और कह दिया "दुसरे चलते है सो मैं भी उसी का अनुसरण कर लिया"...कभी नहीं सोचा की ऐसा मैंने क्यों किया.हो सकता था की मैं अगर रास्ता बदलता तो सायद राह और आसान हो जाता.पर एक डर था की अगर मैं राह बदलता हूँ तो सायद भटक न जाऊ या आगे कोई कठिन मोड़ न आ जाये...इसी तरह धर्म और आस्था का रास्ता है...सब सोच समझ के दरवाजे को हम बन्द कर बस उसका अनुसरण करते है..दुसरे कर रहे है न...तस्सली तो है..
(शंकर शाह)
(शंकर शाह)
Tuesday, April 27, 2010
Maa Tu Bahut Mahan Hai / माँ तू बहुत महान है
चूल्हे के पास बैठी धुओं से लड़ती...आँखों मैं पानी और होंठों पे मुस्कान..दिन भर का भाग दौर फिर थक हार कर...मेरा मुन्ना साहब बन जाये...जीकर हर बातो पर...चोट लगी मुझे आंशु तेरे आँखों पर..भूखे रहकर मेरे किस्मत को संवारा..
माँ तू महान है.कबुल कर लेना माँ ५०० रुपये महीने का जो अब तेरे नाम है..माँ तू बहुत महान है..
(शंकर शाह)
माँ तू महान है.कबुल कर लेना माँ ५०० रुपये महीने का जो अब तेरे नाम है..माँ तू बहुत महान है..
(शंकर शाह)
Monday, April 26, 2010
Jindagi ek pathsala / जिंदगी एक पाठशाला
जिंदगी एक पाठशाला की तरह है. और हम एक बिध्यार्थी...हर रोज एक नए विषय पे ज्ञान प्राप्त करते है और कभी कभी उस विषय पर प्रुनावृधि भी..सोच का दायरा जितना बढ़ाते है उतना ज्ञान अर्जित करते है...पर एक मोड़ पर आ कर हमारा सोच उस घरे के सामान हो जाता है जब नए थे सीतल जल पिलाया पुराना हुआ तो किसी काम का नहीं..पुराना होने का मतलब यहाँ उम्र से नहीं है...पुराना होने का अर्थ यह है की हम अपने सोच के घड़े पर अहंकार की धुल मिट्टी जम जाने देते है...
(शंकर शाह)
Saturday, April 24, 2010
Main Aur Mere Vichar / मैं और मेरे विचार
मैं और मेरे विचार नदी दो किनारों की तरह दूरियाँ बनाते रहे....कभी2 दोनों ने चाहा की एक हो जाये पर बहाव ने उन्हें एक न होने दिया.....वो अपना रास्ता बनाती रही.....हर किसी के साथ ऐसा होता है की वो और उसके विचार एक होना तो चाहते है पर अहंकार भरी बहाव उनमे हमेशा दुरी बनाये रखती है......होता तो बस इतना है की कभी तराजू एक सिरे पर हम भारी होते हैं और कभी हमारे विचार......और एक दिन इसी तरह आत्म युद्ध करते2 हम काल रूपी समुन्द्र में विलुप्त हो जाते है
(शंकर शाह)
Friday, April 23, 2010
Har roj khud ke naye chehre se milta hoon / हर रोज खुद के नए चेहरे मिलता हूँ
हर रोज खुद के नए चेहरे मिलता हूँ...वो चेहरा जो पुराना सक्ल को मिटा कर एक नया तजुर्बे के साथ जन्म लेता है...पुराना सक्ल मिटाने का ये मतलब नहीं की मैं खुद मैं बदल गया बल्कि ये की मैं खुद में कितना परिवर्तन लाया अपने पिछले कल से तराश कर ...
(शंकर शाह)
Thursday, April 22, 2010
Kisi ko chot pahunchaya / किसी को चोट पहुँचाया
किसी को चोट पहुँचाया तकलीफ हुआ...किसी ने कहा माफ़ी मांगलो तुम्हे अच्छा लगेगा... माँगा दिल को बहुत अच्छा महसूस हुआ..पर ये नहीं सोचा किसी और ने कहा जो वो जबाब मेरे अन्दर भी था पर पर खुद से सवाल करने से डरता था..कई बार ऐसा होता है की हर सवाल का जबाब हमारे अन्दर होता है पर खुद से सवाल करने से डरते है....और डरते डरते एक दिन ऐसा आता है की हम नित्यानंद और आशाराम जैसे को जन्म दे देते है....
(शंकर शाह)
Kambakht pyaar ka ehsaas / कमबख्त प्यार का एहसास
कमबख्त प्यार का एहसास भी अजब होता है..
दिन मैं सपने देखना यूँ जैसे नदी के प्रवाह में अपना चेहरा देख रहे हो...
हर अजनबी जैसे अचानक अपना बन गया हो..
जिधर कभी नजरे न जाती थी..
लगने लगता है जैसे अचानक वो उसी दिशा से आ रहा हो..
कमबख्त ये प्यार का एहसास .....
Khud ke Banaye Raho main / खुद बनाये राहो मैं
खुद बनाये राहो मैं खुद को चलाता रहा...
अपने वजूद को अपने हाथो से मिटाता रहा...
दर लगता था खुद से इसीलिए अपने जज्बातों को जलाता रहा...
यूँ तो बना चूका हूँ एक दिवार की सच दस्तक न दे जाये...
पर क्या करता जब सच आइना बन कर सामने आता रहा, डराता रहा...
Har sawal ka / हर सवाल का
हर सवाल का का जवाब नहीं होता...
और हर जवाब के पीछे एक सवाल होता है....?
WE ALWAYS FEEL BAD
WE ALWAYS FEEL BAD & THINK THAT GOOD THINGS HAPPEN ONLY TO OTHER BUT WE FORGET THAT WE ARE OTHERS FOR SOMEONE ELSE:)
Sochta hoon kuch likh daloo / सोचता हूँ और कुछ लिख डालू
सोचता हूँ और कुछ लिख डालू यहाँ.. फिर सोचता हूँ पढ़ेगा कौन...फिर सोचता हूँ कोई तो पढ़ेगा पर विषय क्या हो.. सोचता हूँ कुछ तो विषय हो जो बस भर्काऊ हो जो अपने विचारो के तलवार से किसी के भावनाओ को लहू लूहान कर जाये.. जितना लेख में गाली वाली लपते उतना अच्छा लेख... (शंकर शाह)
Dard to dard hota hai / दर्द तो दर्द होता है
दर्द तो दर्द होता है...सायद अगर जुबां होता नदी का तो वो सागर को बयां करती अपना दर्द...सागर अपने वासिंदो से ..सूरज चाँद से और चाँद धरती से... दर्द का रिश्ता प्यार से है और प्यार करना क्या छोर सकता है कोई...
Subscribe to:
Posts (Atom)