मैं आइने में जब भी अपना चेहरा देखता हूँ...मैं खुदमे दो चेहरे पाता हूँ..एक जो ज़माने की हिसाब से दिखना चाहता है और दूसरा खुद मैं खुद को तलाशता है..कभी कभी ऐसा लगता है जो हूँ दिख जाऊं पर आइना मेरा सृन्गारित चेहरा हिन् दिखाता है.. मतलब ये है 'धोखा देना चाहे तो आइने को तो दे सकते है पर दिल का क्या करे अपने विचारो का क्या करे...
Thursday, February 20, 2025
एक वादा था
कुछ लम्हों को चुन के मैंने बुना था तुम्हें……..
जैसे, किसी चित्रकार ने एक केनवास पे अपने प्यार को उतारा हो।
इंद्रधनुषि तुम हो तो मेरा प्यार भी संगीत है …
कई ज़िंदगी जिया है एक तुम्हें पाके….
जैसे एक वादा था और हक़ीक़त तुम हो …
शंकर शाह
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