LATEST:


MERI KAHANI

Saturday, April 24, 2010

Main Aur Mere Vichar / मैं और मेरे विचार

मैं और मेरे विचार नदी दो किनारों की तरह दूरियाँ बनाते रहे....कभी2 दोनों ने चाहा की एक हो जाये पर बहाव ने उन्हें एक न होने दिया.....वो अपना रास्ता बनाती रही.....हर किसी के साथ ऐसा होता है की वो और उसके विचार एक होना तो चाहते है पर अहंकार भरी बहाव उनमे हमेशा दुरी बनाये रखती है......होता तो बस इतना है की कभी तराजू एक सिरे पर हम भारी होते हैं और कभी हमारे विचार......और एक दिन इसी तरह आत्म युद्ध करते2 हम काल रूपी समुन्द्र में विलुप्त हो जाते है

(शंकर शाह)

No comments:

Post a Comment

THANKS FOR YOUR VALUABLE COMENT !!