LATEST:


MERI KAHANI

Tuesday, September 25, 2012

आज मिलो तुम फिर पहली मुलाकात की तरह..एक बार फिर नजरो का खेल खेलु और दिल घायल हो जाये...


शंकर शाह

Wednesday, September 5, 2012

Guru / गुरु

"वक़्त" कभी माँ की तरह गोद में खेलाते बचपन को तो कभी गुरु की तरह सिखाते दुनिया...दोस्त बनकर कभी उचल कूद करलेते हुए तो कभी पापा बनकर कहते हुए लड़ो जीना है तो...कहते है न "गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागु पायें..बलिहारी गुरु आपनो गोविन्द दियो बताय"... ए वक़्त गुरु, मै एकलव्य और अर्जुन तो नहीं पर आप द्रोणाचार्य हो मेरे लिए...और आज के दिन आप को सत: सत: नमन: :)

(शंकर शाह)