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MERI KAHANI

Thursday, April 22, 2010

Kisi ko chot pahunchaya / किसी को चोट पहुँचाया

किसी को चोट पहुँचाया तकलीफ हुआ...किसी ने कहा माफ़ी मांगलो तुम्हे अच्छा लगेगा... माँगा दिल को बहुत अच्छा महसूस हुआ..पर ये नहीं सोचा किसी और ने कहा जो वो जबाब मेरे अन्दर भी था पर पर खुद से सवाल करने से डरता था..कई बार ऐसा होता है की हर सवाल का जबाब हमारे अन्दर होता है पर खुद से सवाल करने से डरते है....और डरते डरते एक दिन ऐसा आता है की हम नित्यानंद और आशाराम जैसे को जन्म दे देते है.... 
 
(शंकर शाह)

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