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MERI KAHANI

Wednesday, May 28, 2014

एक रात बैठूँगा सर्द परे रिश्तो के बिच...और तापुन्गा उसे पुराणी ख्यालो से... जलते दिलो के बिच से उठाऊंगा कुछ पलों को अंगीठी बनाके और रख दूंगा....एक बार फिर.....एक रात....सर्द पड़े हमारे रिश्ते को सेंकने के लिए.....

शंकर शाह