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MERI KAHANI

Tuesday, September 20, 2016

Do Ankhen

कहीं एक खिड़की है जो खुली रहती है मेरे इन्तज़ार में... उसी के इन्तज़ार ने मुझे यायावर और मेरे सफ़र को रंगीन बना दिया है ... कभी मिले तुम्हें दो आँखें उस खिड़की पे राह तकते मेरा ...तो कह देना ...ये कुछ हसीन कैन्वस है तुम्हारे इन्तज़ार और उसके सफ़र के बीच का !

शंकर शाह

Sunday, February 7, 2016

Diwali / दिवाली

मेरी नजरे तंगी है तुम्हारे खिड़की पे और सांसो का आना जाना तुम्हारे दरवाजे होकर गुजर रही है. 
मिलाओ नजर तो फिर इश्क़ कर लूँ  की अभी अभी दिल के कोने में एक दिवाली की रात हुई है.... 

शंकर शाह