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MERI KAHANI

Thursday, May 12, 2011

Atma Se Utar Kar / आत्मा से उतर कर

कई बार में आत्मा से उतर कर जंगल में गया..कमाल देखिये आत्मा से उतर कर जितनी बार सफ़र किया...मैंने जंगल के राजा के तरह विचरण किया...पर जब भी लोटा उस सफ़र से वो जिंदगी के किताब एक काला अक्षर के रूप में अंकित हो गए...जब भी यादों के पन्ने पलटता हूँ...एक दर्द भरा चुभन के अलावा कुछ नहीं मिलता..

(शंकर शाह) 

Saturday, May 7, 2011

Mere galati Ke Paksh me / मेरे गलती के पक्ष में

मै कई बार गलतियाँ कर देता था बचपन में जो लाजिमी है हर बच्चे करते है...पर हर बार गलती के बाद महसूस होता था की गलत है पर दिमाग के कोने से एक जबाब तैयार हो जाता था मेरे गलती के पक्ष में....मै सोचता था ऐसा क्यों है...पर सिर्फ ये मेरे साथ नहीं था हर किसी के जिंदगी के वाक्या के साथ ये जुदा हुआ है मेरे दोस्तों के साथ भी ऐसा था...और गलतिओं का सिलसिला अपरोक्ष रूप में चलता रहा...लेकिन मजे की बात यह है की जिस गलती पे पापा का मार खाया आज तक उस गलती दोहरा नहीं पाया...किसी चीज को हृदय से स्वीकार करने के लिए जरूरी है उस चीज के प्रति श्रधा और उसके विप्ररित न जाने का डर... 

(शंकर शाह) 

Sunday, May 1, 2011

जैसे किसी भी जन्म का प्रमाणपत्र मरण उसी तरह हमारे पतन के पीछे हमारा अज्ञानरूपी ज्ञान छुपा हुआ है...हम बुद्धिजीविता के ढोंग में खुद के लालच को दुसरे पे थोपते है...एक नम्र निवेदन " अगर आप ज्ञानी है तो ज्ञान का सद्य्प्योग उपयोग कीजिये...आजीवन ज्ञान को प्राप्त करना और ज्ञान को बांटना दो आदमियो का काम है १. शीक्क्षक  २. बेकार

(शंकर शाह)