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MERI KAHANI

Thursday, April 22, 2010

Sochta hoon kuch likh daloo / सोचता हूँ और कुछ लिख डालू

सोचता हूँ और कुछ लिख डालू यहाँ.. फिर सोचता हूँ पढ़ेगा कौन...फिर सोचता हूँ कोई तो पढ़ेगा पर विषय क्या हो.. सोचता हूँ कुछ तो विषय हो जो बस भर्काऊ हो जो अपने विचारो के तलवार से किसी के भावनाओ को लहू लूहान कर जाये.. जितना लेख में गाली वाली लपते उतना अच्छा लेख... (शंकर शाह)

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