लड़ाई झगरे, द्वेष इर्ष्या मार काट से उब कर धरती एक लम्बा शान्ती चाहती, इंसानियत मन भी..इंसानियत मन के परिंदे सफ़ेद कपडा लिए धरती की परिक्रमा कर रहे...आओ सब भूल कर प्यार का गीत गुनगुनाये...में तो सामिल हूँ और आप...गोकुलधाम, भारतधाम के वासिओ शान्ती का ध्वज, प्यार का माखन लिए अप सभी को जन्मास्टमी की ढेरो सुभकामनाये...
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