मौत के दहलीज पे जिन्दा है एक लाश..चीरहरित बेबसी.. अब कफ़न भी उसका बाज़ार में है..
(आज के दिल्ली कोर्ट विष्फोट पर माँ भारती का दर्द कुछ ऐसा हीं होगा )
(शंकर शाह)
(आज के दिल्ली कोर्ट विष्फोट पर माँ भारती का दर्द कुछ ऐसा हीं होगा )
(शंकर शाह)
मैं आइने में जब भी अपना चेहरा देखता हूँ...मैं खुदमे दो चेहरे पाता हूँ..एक जो ज़माने की हिसाब से दिखना चाहता है और दूसरा खुद मैं खुद को तलाशता है..कभी कभी ऐसा लगता है जो हूँ दिख जाऊं पर आइना मेरा सृन्गारित चेहरा हिन् दिखाता है.. मतलब ये है 'धोखा देना चाहे तो आइने को तो दे सकते है पर दिल का क्या करे अपने विचारो का क्या करे...