अपनों का अदा भी निराला है ...
हमदर्द बनके दर्द देते है ...
सिकायत कर नही सकते बहाना तो बस
इतना है की वे अपने होते है !!!
रोना चाहे भी तो रो नही सकते ॥
क्योकि हम तो मर्द होते है ॥
आंशुओं को भी पी लेते
जब दर्द मैं दिल रोते है॥
करे भी तो क्या जाए भी तो कहा
पराये भी अपने बन येही सजा देते है !!