LATEST:


MERI KAHANI

Saturday, July 31, 2010

Hey Bhagwan Ye Kaisi hai Bidai / हे भगवान ये कैसी है बिदाई,

जिसके साथ खेला कूदा,
जिसके साथ अकेला की लड़ाई
जिसके खुशी से खुशी होता,
जिसके गम पे दिल हो भर आई

हे भगवान ये कैसी है बिदाई,

मेरे गलतियो एवज मार से बचाने
वाली, जो मेरे लिए खुद मार खाई
जिसके कारन कभी अकेला न समझा,
न कभी दोस्तों की कमी महसूस हो पाई

हे भगवान ये कैसी है बिदाई,

साथ चलते चलते जो गुडिया थी, अब बड़ी
है हो आई, जो बहन थी, अब बेटी सी है
साईं , जिसे कभी समझा नहीं पराया धन
आज वोही कौन सी मोड़ पे है आई

हे भगवान ये कैसी है बिदाई,

जिस सिने में सिर्फ पत्थरो का डेरा था
उस सिने में भी है मोम पिघल आई
जो कल दुनिया दारी  के चक्कर में पहाड़
बन गया था, उसकी आंख भी भर आई

हे भगवान ये कैसी है बिदाई,

जिन आँखों को ज़माने ने रेगिस्तान
कहा, जिस दिल को कहा पत्थर 
उन्ही आँखों में ये कैसी नमी है आई 
हे भगवान ये कैसी है बिदाई,

किसी से बेटी, मुझ से बहन की
आज हो रही है जुदाई
हे ऊपर वाले ये कैसी रित
एक जीवन मुझसे हो रही पराई

हे भगवान ये कैसी है बिदाई,



(शंकर शाह)

No comments:

Post a Comment

THANKS FOR YOUR VALUABLE COMENT !!